स्वाद तथा पौष्टिकता से भरपूर हैं उत्तराखंड के पारंपरिक व्यंजन : प्रो. बत्रा
हरिद्वार। नगर के प्रतिष्ठित एस एम जे एन पी जी कॉलेज में आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ द्वारा गढ़भोज दिवस का आयोजन किया गया। गढ़भोज के इस कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं ने गढ़वाली और कुमाऊंनी दोनों प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजनों द्वारा उत्तराखंड की संस्कृति और परंपरा को प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में छात्र छात्राओं ने गढ़वाली गीतों पर परंपरागत वेशभूषा के साथ मनमोहक नृत्य से सभी को अविभूत किया।

इस अवसर उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी त्रिलोक चंद्र भट्ट ने कहा कि उत्तराखंडी व्यंजनों का राज्य निर्माण आंदोलन में भी बड़ी भूमिका रही हैं। उस समय ‘झंवरा कोदा खायेंगे, उत्तराखण्ड बनायेंगे के नारे लगते थे। जो यहां के खान-पान से जुड़े थे। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड के व्यंजन हमारे राज्य की संस्कृति की परिचायक भी हैं। कॉलेज के प्राचार्य प्रो सुनील कुमार बत्रा ने कहा कि गढ़भोज दिवस का आयोजन उत्तराखंड की औषधीय गुणों से भरपूर फसलों से बनने वाले व्यंजनों के प्रचार प्रसार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हैं। प्रो. बत्रा ने कहा कि आज के कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं द्वारा दी गई प्रस्तुति उत्तराखंड की संस्कृति को स्पष्ट रूप से दर्शाती हैं। प्रो बत्रा ने इस कार्यक्रम के अवसर पर उत्तराखंड राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत को उनके जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं दी। उन्होंने बताया कि इस तरह के कार्यक्रमों से उत्तराखंड की आर्थिकी को बढ़ाने मे भी मद्द मिलेगी। वरिष्ठ पत्रकार संदीप रावत ने कहा कि गढ़भोज दिवस के माध्यम से युवा पीढ़ी को पारंपरिक अनाज के विषय में जानकारी मिलती है जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती है। कार्यक्रम में आए उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी विजय भंडारी ने भी कार्यक्रम की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि गढ़वाली व्यंजनों द्वारा छात्र-छात्राओं ने पारंपरिक भोजन का साक्षात्कार कराया है।
गढ़भोज दिवस के इस कार्यक्रम में सभी अतिथियों ने उत्तराखंडी व्यंजनों का आनंद लिया एवं छात्र-छात्राओं तथा अन्य प्रतिभागियों का उत्साह वर्धन किया। गढ़भोज दिवस की इस व्यंजन प्रतियोगिता में स्टालों में मंडवे की रोटी, भांग, तिल और भंगजीरे की चटनी, झिंगोरे की खीर, गहत की दाल, उड़द की दाल की पकौड़ी, पहाड़ी खीरे का रायता आदि बनाकर प्रस्तुत किया।
पारंपरिक व्यंजन प्रतियोगिता में सलोनी तथा सरस्वती ने संयुक्त रूप से प्रथम, खुशी मेहता तथा छाया कश्यप ने संयुक्त रूप से द्वितीय, मोनिका ने तृतीय, आरती, दीक्षा तथा कशिश ने चतुर्थ पुरस्कार प्राप्त किया। जबकि रोनिक, पिंकी वर्मा, वैष्णवी, दिव्यांशु नेगी, ईशा कश्यप, विकास चौहान तथा दिव्यांशु गैरोला को सांत्वना पुरस्कार प्राप्त हुआ। निर्णायक मंडल के रूप में संदीप रावत, विजय भंडारी, मणिकांत त्रिपाठी, बसंत कुमार, ओमप्रकाश माटा, संदीप अग्रवाल,सुनील शर्मा, निशांत वालिया, अभय गर्ग तथा श्रीमती सुदेश आर्या ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इस अवसर पर आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ के समन्वयक डॉ संजय माहेश्वरी ने कार्यक्रम के संयोजक मंडल की रुचिता सक्सेना, डॉ रजनी सिंघल, डॉ सरोज शर्मा, डॉ पूर्णिमा सुंदरियाल तथा कविता छाबड़ा के सफल प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि आज भागती दौड़ती हुई जिंदगी में मानव स्वास्थ्य के लिए पौष्टिकता से युक्त पहाड़ी भोजन के उपयोग की बहुत आवश्यकता हैं।
इस अवसर पर प्रो जे सी आर्य, प्रो विनय थपलियाल, डॉ. शिवकुमार चौहान, डॉ. मनोज कुमार सोही, डॉ मीनाक्षी शर्मा, डॉ. पल्लवी, डॉ. लता शर्मा, आकांक्षा पांडे, विनीत सक्सेना, .अमिता मल्होत्रा, वैभव बत्रा, डॉ. पदमावती तनेजा, प्रशिक्षु गौरव बंसल तथा अर्शिका सहित अनेक छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।