-त्रिलोक चन्द्र भट्ट
कहते हैं कि नाम का व्यक्ति के जीवन पर भी बड़ा प्रभाव पड़ता है। रघुवीर सिंह जी के नाम के अनुरूप उनके जीवन पर ‘रघुवीर’ शब्द का प्रभाव साफ तौर पर रहा। सामान्यतः ‘रघुवीर’ का भगवान श्री राम या रघु के बहादुर वंशज के लिए उपयोग किया जाता है। लेकिन जब नाम का प्रभाव व्यक्ति के स्वभाव, व्यक्तित्व और चरित्र पर पड़ता है तो उसका जीवन संघर्ष से सफलता और सार्थकता की ओर जाता है। रघुवीर सिंह जी उन्हीं लोगों में एक रहे हैं जिन्होंने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने के लिए संघर्ष किया और अपनी मिशनरी पत्रकारिता के जरिये परिवार को व्यवस्थित पर उसे एक अच्छा मुकाम दिया। उनका स्वास्थ्य काफी समय से ठीक नहीं चल रहा था। लेकिन उन्होंने कभी हौसला और हिम्मत नहीं खोयी और पत्रकारिता से जुड़े कार्यक्रमों में अपनी उपस्थिति सक्रियता और उपस्थिति दर्ज कराते रहे। लेकिन हरिद्वार की पत्रकारिता को रोशन करने वाले पुरानी पीढ़ी के इस आधार स्तंभ का शनिवार 21 सितंबर, 2024 को सूर्याेदय के समय सूर्यास्त हो गया। उनके निधन से पत्रकारिता के एक युग का अवसान हो गया।
हरिद्वार प्रेस के संस्थापक सदस्यों में रहे स्व. रघुवीर सिंह, प्रेस क्लब की स्थापना से लेकर जीवन के अंतिम क्षणों तक इस संस्था से जुड़े रहे। प्रेस क्लब की स्थापना के समय वे डॉ. कमलकांत बुधकर, दुर्गाशंकर भाटी, शोभानाथ, डॉ. शिवशंकर जायसवाल, गोपाल रावत, डॉ. रमेश खन्ना और सुनीलदत्त पाण्डे के साथ स्थानीय निदेशक मंडल के शामिल थे। इससे पूर्व प्रेस क्लब की पूर्ववर्ती संस्था भारतीय संवाद परिषद के समय 1989 में वे संस्था के महासचिव रहे। 1994 में वे इस संस्था के अध्यक्ष भी रहे। समय-समय पर वे एनयूजे (आई), श्रमजीवी पत्रकार यूनियन, और उत्तराखण्ड के मीडियाकर्मियों की प्रमुख राज्यस्तरीय पंजीकृत संस्था नेशनलिस्ट यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (एनयूजे उत्तराखण्ड) से भी जुड़े रहे। एकीकृत श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के विभाजन के बाद 18 फरवरी, 2024 को आयोजित एक बैठक में उन्हें श्रमजीवी पत्रकार यूनियन की हरिद्वार इकाई का अध्यक्ष बनाया गया था।
काफी समय से वे अस्वस्थ चल रहे थे। लेकिन पत्रकारिता में उन्होंने अपनी सक्रिता बनाये रखी। वे अस्वस्थता के बावजूद विभिन्न कार्यक्रमों के उत्साह के साथ भाग लेते रहे। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनके लंबे योगदान को देखते हुए उन्हें विभिन्न मंचों पर सम्मानित किया था। नेशनलिस्ट यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स द्वारा 2022 में उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय में आयोजित एक राष्ट्रीय संगोष्ठी में संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा भी उन्हें सम्मानित किया गया था।
15 नवंबर, 1948 को श्रीमती महेन्द्र कौर एवं स्व. सोहन सिंह जी के घर में जन्में वरिष्ठ पत्रकार रघुवीर सिंह ने स्नातक तक की शिक्षा प्राप्त की थी, उन्होने पत्रकारिता और प्रिंटिंग प्रेस को ही अपनी आजीविका का सहारा बनाया। जिसमें उनके पुत्र रविन्द्र पाल सिंह, परमपाल सिंह और हरेन्द्र सिंह उनका हाथ बंटाते रहे। उन्होंने नवभारत में पत्र लेखन और दैनिक बद्री विशाल में भी लेखन किया। बाद में हरिद्वार दर्पण के नाम से अपने समाचार पत्र का प्रकाशन आरंभ किया। जिसके वे संपादक थे। स्व. रघुवीर सिंह ने लंबे समय तक पहाड़ी बाजार कनखल में गोल्डन प्रिंटिंग प्रेस के नाम से एक प्रिंटिंग प्रेस का भी चलायी। इस समय वे हरिद्वार, कनखल स्थित संतपुरा के दर्पण निवास में सपरिवार रह रहे थे।