देहरादून।जनकवि व वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. अतुल शर्मा ने कहा कि साहित्य मेरे लिये शौक नही ज़रुरत है । जीवन की विविधता के कारण विभिन्न विधाओं मे चालीस पुस्तके लिख सका। यह बात उन्होंने दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र के द्वारा 27 अगस्त की सायं एक विशिष्ट कार्य क्रम ” विधाएं अनेक और लेखक एक” मे डॉ. सुशील उपाध्याय व वरिष्ठ पत्रकार विपिन बनियाल के साथ एक बातचीत में कही।
डॉ.अतुल शर्मा ने प्रश्न का जवाब देते हुए बताया कि उन्होंने अब तक कविता संग्रह थकती नही कविता, बिना दरवाजे का समय, नदी एक लम्बी कविता, जनगीतों का वातावरण, सींचे नीव आदि के साथ उपन्यास जवाब दावा, दृश्य अदृश्य, नानू की कहानी सहित दो बेहर चर्चित पुस्तक सीरीज वाह रे बचपन के सात खंड निकाले जिनमे अस्सी लोगे के बचपन के संस्मरण प्रकाशित हैं। साथ ही महान स्वतंत्रता सेनानी एवं राष्ट्रीय कवि श्रीराम शर्मा प्रेम के समग्र साहित्य पर पांच ग्रंथ सम्पादित किये। जिनका सह सम्पादन रेखा शर्मा व रंजना शर्मा ने किया है ।
डॉ.सुशील उपाध्याय के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने बताया कि अब तक उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन मे शामिल रहकर जन गीत लिखे। जो बच्चे बच्चे की जुबान पर रहे,, छीन के लेंगे उत्तराखण्ड। साथ ही नदी बचाओ आन्दोलन को जन गीत दिये, नदी तू बहती रहना।
वरिष्ठ पत्रकार विपिन बनियाल ने पूछा कि उनके लिखे नाटक और रंग गीत कौन से है तो डॉ. शर्मा ने बताया कि नाटको की पुस्तक प्रकाशित हुई है उन्नीस नाटक। नाटकों में बहुत से गीत कई वर्षों से लिख रहे हैं।
शुरू मे रंजना शर्मा ने डा अतुल शर्मा की चुनी हुई कविताओं का पाठ किया ”दोस्तों मेरी कविता को अपना ही घर समझो” ।
लेखक व जनकवि डॉ. अतुल शर्मा ने अपनी आत्मकथा ” दून जो बचपन मे देखा के विषय में जानकारी दी। साथ ही संस्मरणों की पुस्तक संस्मरणों की बैठक का जिक्र किया। अनेक उनके लेख संग्रह भी प्रकाशित हुए है।
दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र के प्रोग्राम एसोसिएट चन्द्रशेखर तिवारी ने ने कार्यक्रम के आरम्भ में लोगों का स्वागत किया। इस कार्यक्रम में व्यवस्था आदि में सुन्दर सिंह बिष्ट ने सहयोग दिया।
इस अवसर पर तीन ऑडीयो विडियो भी प्रसारित किये गये जिनमे डॉ. अतुल शर्मा के विषय में राजीव लोचन साह प्रोफे. डी आर पुरोहित व सुषमा मिश्रा के संस्मरण शामिल थे।
श्रोताओं के सवालों का जवाब देते हुए डॉ.अतुल ने कहा कि लेखन मेरा शौक नहीं है बल्कि ज़रुरत है।