हरिद्वार। नेशनलिस्ट यूयिन ऑफ जर्नलिस्ट्स (एनयूजे उत्तराखण्ड) ने सरकार से मांग की है कि सिंगल विंडो से राज्य में किसी भी फ़िल्म की शूटिंग की अनुमति दिये जाने पर शूटिंग क्षेत्र के स्थानीय पत्रकारों को मीडिया कवरेज के लिए फिल्म के विजुअल और फोटोज सहित निर्माता, निर्देशक, कलाकारों आदि की जानकारी देने की व्यवस्था की जानी चाहिए।
गौरतलब है कि राज्य में शूटिंग के दौरान पत्रकारों की एंट्री बिल्कुल बंद कर दी गयी है। इतना ही नही फ़िल्म की कहानी रिवील हो जाएगी का बहाना बनाकर कोई भी निर्माता निर्देशक एक प्रेस मीट तक आयोजित नहीं करते। ऐसे में मनोरंजन की बड़ी खबर न भेज पाने के कारण पत्रकारों को अपने संस्थानो से भी खरी खोटी सुननी पड़ती है।
यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष त्रिलोक चन्द्र भट्ट द्वारा फिल्म विकास परिषद के अध्यक्ष मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और सदस्य सचिव/मुख्य कार्याधिकारी बंशीधर तिवारी (महानिदेशक सूचना एवं लो0 सं0 विभाग, उत्तराखण्ड) को भेजे पत्र में कहा है कि जब कोई बॉलीवुड की फिल्म शूटिंग उत्तराखंड में हो और मीडिया कवरेज पर रोक लगा दी जाए तो यह 1975 से 1977 तक के राष्ट्रीय आपातकाल जैसा महसूस करवाता है। उत्तराखण्ड में होने वाली इस तरह घटनाओं से राज्य के पत्रकार खुद को बेइज्जत महसूस करते है।
उन्होंने कहा है कि उत्तराखंड पिछले कुछ दशकों से, बॉलीवुड के फेवरेट डेस्टिनेशन के रूप में उभरता हुआ राज्य बन कर सामने आया है। उत्तराखंड सरकार ने फिल्मों की शूटिंग के लिए सिंगल विंडो सिस्टम लागू कर फिल्मों की शूटिंग को प्रोत्साहित किया है। इस तरह के शीर्षकों की खबरों को उत्तराखंड से माया नगरी मुंबई और देश-विदेशों तक पहुंचाने का काम हमारे मीडिया के साथियों ने ही किया है। लेकिन फिल्म शूटिंगों में मीडिया कवरेज की सुविधा न देकर पत्रकारों की उपेक्षा की जा रही है।
श्री भट्ट ने कहा है कि चूंकि उत्तराखंड एक पर्वतीय राज्य है और यहां अक्सर ही शूटिंग होती रहती है। कई बड़े कलाकार भी यहां आते रहते हैं। ऐसे में उत्तराखंड के विभिन्न जिलों में काम करने वाले पत्रकारों के संस्थानों से उन पर प्रेशर रहता है कि कोई भी बड़ा फ़िल्म एक्टर, शूटिंग के लिए आये तो कवरेज करके खबर लगाओ। लेकिन शूटिंग के दौरान पत्रकारों की एंट्री बिल्कुल बंद कर दी गयी है। इतना ही नही फ़िल्म की कहानी रिवील हो जाएगी का बहाना बनाकर कोई भी निर्माता निर्देशक एक प्रेस मीट तक नही रखता। ऐसे में मनोरंजन की बड़ी खबर न भेज पाने के कारण पत्रकारों को अपने संस्थानो से भी खरी खोटी सुननी पड़ती है।
त्रिलोक चन्द्र भट्ट ने कहा है कि किसी भी फिल्म अथवा सरकारी या गैर सरकारी कार्यक्रमों के प्रचार-प्रसार का सशक्त माध्यम मीडिया ही होता है, लेकिन फिल्म शूटिंग जैसे मामलों में पिछले कुछ समय से जिस तरह मीडिया को नजरअंदाज किया जा रहा है, वह किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है।